दिल्ली सल्तनत काल में किस्मत-ए-खोती क्या था?

(A) ग्राम के मुखिया को राज्य द्वारा दिया जाने वाला नगद भुगतान
(B) खुत को आबंटित गाँव
(C) ग्राम के मुखिया द्वारा कृषकों से संग्रहित उपकर
(D) खुतों द्वारा जोती गई भूमि पर निर्धारित राजस्व

Answer : ग्राम के मुखिया द्वारा कृषकों से संग्रहित उपकर

Explanation : दिल्ली सल्तनत काल में किस्मत-ए-खोती ग्राम के मुखिया द्वारा कृषकों से संग्रहित उपकर था। 14वीं शताब्दी में खोत, मुकद्दम और चौधरी राज्य की ओर से किसानों से भूमिकर या खराज वसूल करते थे। ये लोग किसानों से कर वसूल करके दीवान-ए-विजारत के अधिकारियों के पास जमा कर देते थे। इस कार्य के बदले अपने पारिश्रमिक के रूप में उन्हें इस वसूली का एक भाग प्राप्त करने का अधिकार था, जिसे हक्क-ए-खोती का अधिकार कहते थे। इसके अतिरिक्त यह किसानों से भी उनकी उपज का एक भाग लेते थे, जिसे 'किस्मत-ए-खोती' कहा जाता था।
Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams
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Web Title : Delhi Saltanat Kaal Mein Kismat E Khote Kya Tha