दक्कन विद्रोह क्या है?

(A) रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था
(B) नये करों के विरूद्ध संघर्ष
(C) अंग्रेजी अत्याचार ​के विरूद्ध संघर्ष
(D) नील की खेती के लिए बाध्य करना

Answer : रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था

दक्कन विद्रोह पश्चिमी भारत के दक्कन क्षेत्र में होने वाले कृषक विद्रोह था। जिसका मुख्य कारण रैयतवाड़ी भू-राजस्व व्यवस्था थी। यहां ​के किसान करों के भारी बोझ के साथ-साथ साहूकारों के चंगुल में भी फंसे हुए थे। अमेरिकी गृहयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् कपास की कीमतों में भारी गिरावट आई। ऐसी परिस्थिति में साहूकारों का शोषण और बढ़ गया। 1867 ई. में सरकार ने भू-राजस्व की दरों में 50% की वृद्धि कर दी, जिसके कृषक समस्याएं चरम पर पहुंच गई, इन्हीं परिस्थितियों में दक्कन में विद्रोह हुए। सरकार ने आंदोलनकारियों के प्रति दमनकारी नीतियां अपनाईं। लगभग 1,000 किसानों को बंदी बनाया गया। दंगों की प्रकृति तथा कारणों की जांच के लिए सरकार ने दक्कन विद्रोह आयोग नियुक्त किया। आयोग का एकमत से निष्कर्ष था कि गरीबी के परिणामस्वरूप किसानों की ऋणाग्रस्तता दक्कन विद्रोह का एकमात्र कारण थी। आयोग के सुझाव पर सरकार ने 1879 ई. में दक्कन कृषक राहत अधिनियम पारित किया। महाराष्ट्र के तत्कालीन बुद्धिजीवियों ने किसानों के हितों के लिए संघर्ष किया। 1873-1877 ई. के मध्य रानाडे के नेतृत्व में पूना सार्वजनिक सभा ने भू-राजस्व अधिनियम, 1867 के विरुद्ध पूना तथा बंबई में आंदोलन चलाया तथा किसानों का समर्थन किया। पूना सार्वजनिक सभा ने दक्कन कृषि राहत अधिनियम का पुरजोर समर्थन किया।
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Web Title : Dakkan Vidroh Kya Hai