Explanation : कोरोना (coronavirus) वायरस पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग। कोरोना माहमारी के बीच यह काफी चर्चित टॉपिक हो चुका है। फ्रांस के भाषाविदों ने इसे स्त्रीलिंग बताया है। इसके साथ ही उन्होंने इस वायरस के नाम के आगे ले (le) या ला (la) लगाने की बातें शुरू कर दीं। फ्रांस के एक अकेदमिक ग्रुप द एकेडमी फ्रेंचाइजी (the Académie Française) ने इसको फेमिनिन या स्त्री लिंगी ही माना है। जबकि इस वायरस की ताकत को देखते हुए दुनिया के अन्य देश इसे पुल्लिंग ही मान रहे है। क्योंकि ताकत का प्रतीक पुरूष ही माना जाता है। जबकि फ्रांस के अनुसार वह वायरस को हमेशा स्त्रीलिंग ही मानता आया है।
फ्रांस की द एकेडमी फ्रेंचाइजी को फ्रेंच भाषा संबंधी मामलों की विख्यात काउंसिल के लिए माना जाता है। जहां विशेषकर फ्रेंच भाषा से जुड़े मामलों पर उसकी राय सभी मानते है। इस एकेडमी की स्थापना 1635 में किंग लुईस XIII के समय में की गई थी। हालाकि इसे 1793 में फ्रांसीसी क्रांति के समय खत्म कर दिया गया था लेकिन 1803 में नेपोलियन ने इसे फिर शुरू किया।
जहां तक अपनी हिंदी भाषा में लिंग तय करने का तरीका है तो वह केवल दो ही तरह के होते है। जिसकी परीक्षा कुछ इस प्रकार है–
पुल्लिंग - जो संज्ञापद पुरुष वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं। जैसे– लड़का, आदमी, घोड़ा, शेर, बकरा, राजा आदि।
स्त्रीलिंग - जो संज्ञापद स्त्री वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे– लड़की, औरत, घोड़ी, शेरनी, बकरी, रानी आदि।
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