Explanation : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन पूना में 25 से 28 दिसंबर, 1885 तक होना था। लेकिन पूना में हैजा फैलने के कारण अधिवेशन पूना के स्थान पर बंबई में किया गया। 28 दिसंबर, 1885 को दिन के 12 बजे गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज के भवन में कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन प्रारंभ हुआ, जिसकी अध्यक्षता कलकत्ता के प्रसिद्ध बैरिस्टर व्योमेशचंद्र बनर्जी द्वारा की गयी। इस सम्मेलन में कुल 72 सदस्यों ने भाग लिया जिनमें से प्रमुख व्यक्ति थे-दादाभाई नौरोजी, फीरोजशाह मेहता, दीनसा एदलजी बाचा, काशीनाथ तैलंग, नारायण गणेश चंद्रावरकर, पी. आनंद चालू, बी. राघवाचार्य, एन, सुब्रह्मण्यम् विलियम वेडरबर्न और महादेव गोविंद रानाडे आदि।
कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य–
प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष व्योमेशचंद्र बनर्जी ने कांग्रेस के महत्व की ओर प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करते हुए इसके उद्देश्य निम्न प्रकार बताये थे–
1. साम्राज्य के विभिन्न भागों में देश हित के लिए लगन से कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता और मित्रता के संबंध स्थापित करना।
2. समस्त देशवासियों में वंश, धर्म और प्रांत संबंधी दूषित सस्कारों को मिटाकर राष्ट्रीय एकता की भावनाओं का पोषण और विकास करना।
3. महत्वपूर्ण और आवश्यक सामाजिक प्रश्नों पर भारत के शिक्षित लोगों में अच्छी तरह चर्चा होने के बाद महत्वपूर्ण विचारों का संग्रह करना।
4. उन तरीकों और दिशाओं का निर्णय करना, जिनके द्वारा भारत के राजनीतिज्ञ देशहित के कार्य करें।
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