जेनेवा संधि (Geneva Convention) : पहली बार वर्ष 1864 दुनिया के कुछ देशों ने युद्धबंदियों के अधिकारों को लेकर एक करार किया। इस संधि को मानवता के लिए जरूरी कदम बताया गया। इसके बाद वर्ष 1906 और वर्ष 1929 में क्रमश: दूसरी और तीसरी संघि हुई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 70 के अनुसार, जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उद्ग्रहणीय होना – सम्पत्ति को दायित्व से मृत्यु उन्मुक्त नहीं करती – जुर्माना या उसका कोई भाग, जो चुकाया न गया हो, दंडादेश दिए जाने के पश्चात् छह वर्ष के भीतर किसी भी समय, और […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 66 के अनुसार, जुर्माना न देने पर किस भाँति का कारावास दिया जाए – वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने के लिए अधिरोपित करे, ऐसा किसी भाँति का हो सकेगा, जिससे अपराधी को उस अपराध के लिए दंडादिष्ट किया जा सकता था। According to Section 66 […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 65 के अनुसार, जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि – यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दंडनीय हो, तो वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय अपराधी को कारावासित करने […]
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अनुसार, न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति : (1) उन मामलों में, जिनमें जिला मजिस्ट्रेट या उपखंड मजिस्ट्रेट अथवा राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त विशेषतया सशक्त किए गए किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट की राय में इस धारा के अधीन कार्यवाही […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 511 के अनुसार, आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न करने के लिये दंड – जो कोई इस संहिता द्वारा आजीवन कारावास से या कारावास से दंडनीय अपराध करने का, या ऐसा अपराध कारित किये जाने का प्रयत्न करेगा, और ऐसे प्रयत्न में अपराध […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 509 के अनुसार, शब्द, अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिये आशयित है – जो कोई किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहेगा, कोई ध्वनि या अंगविक्षेप करेगा, या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, इस आशय से कि […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 507 के अनुसार, अनाम संसूचना द्वारा आपराधिक अभित्रास – जो कोई अनाम संसूचना द्वारा या उस व्यक्ति का, जिसने धमकी दी हो, नाम या निवास-स्थान छिपाने की पूर्वावधानी करके आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह पर्ववर्ती अंतिम धारा द्वारा उस अपराध के लिये उपबंधित दंड के अतिरिक्त, या दोनों […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 506 के अनुसार, आपराधिक अभित्रास के लिए दंड – जो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जायेगा। यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति इत्यादि […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 504 के अनुसार, लोक-शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान – जो कोई किसी व्यक्ति को साशय अपमानित करेगा और तदद्वारा उस व्यक्ति को इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए, प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक-शांति भंग या कोई अन्य अपराध […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 500 के अनुसार, मानहानि के लिये दंड – जो कोई किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। According to Section 500 of the Indian Penal Code 1860, Punishment for […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498 क के अनुसार, किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना – जो कोई, किसी स्त्री का पति या पति नातेदार होते हुए, ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जायेगा […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 498 के अनुसार, विवाहिता स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना, या ले जाना या निरुद्ध रखना – जो कोई किसी स्त्री को, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है, और जिसका अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है, या विश्वास करने का कारण रखता है, उस […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 497 के अनुसार, जारकर्म – जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है, और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा, जो […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 471 के अनुसार, कूटरचित [दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख] का असली के रूप में उपयोग में लाना – जो कोई किसी ऐसी [दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख] को, जिसके बारे में वह यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह कूटरचित [दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] है, कपटपूर्वक या […]