भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 51 के अनुसार, ‘शपथ’ — ‘शपथ’ के लिए विधि द्वारा प्रतिस्थापित सत्यनिष्ठ प्रतिज्ञान और ऐसी कोई घोषणा, जिसका किसी लोक सेवक के समक्ष किया जाना या न्यायालय में या अन्य सबूत के प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित या प्राधिकृत हो, ‘शपथ’ शब्द के अन्तर्गत आती […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 44 के अनुसार, ‘क्षति’ — ‘क्षति’ शब्द किसी प्रकार की अपहानि का द्योतक है, जो किसी व्यक्ति के शरीर, मन, ख्याति या सम्पत्ति को अवैध रूप से कारित हुई हो।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 41 के अनुसार, ‘विशेष विधि’ — ‘विशेष विधि’ वह विधि है जो किसी विशिष्ट विषय को लागू हो।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 35 के अनुसार, जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है — जब कभी कोई कार्य, जो आपराधिक ज्ञान या आशय से किए जाने के कारण ही आपराधिक है, कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 34 के अनुसार, सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किये गये कार्य — जब कि कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों द्वारा अपने सबके सामान्य आशय को अग्रसर करने में किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 27 के अनुसार, ‘पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति’ — जबकि सम्पत्ति किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में है, तब वह इस संहिता के अर्थ में अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में है। स्पष्टीकरण—लिपिक या सेवक के नाते अस्थायी […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 26 के अनुसार, ‘विश्वास करने का कारण’ — कोई व्यक्ति किसी बात के ‘विश्वास करने का कारण’ रखता है, यह तब कहा जाता है, जब वह उस बात के विश्वास करने का पर्याप्त हेतुक रखता है, अन्यथा नहीं। According to Section 26 of the Indian Penal Code 1860, “Reason […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 25 के अनुसार, ‘कपटपूर्वक’ — कोई व्यक्ति किसी बात को कपटपूर्वक करता है, यह कहा जाता है, यदि वह उस बात को कपट करने के आशय से करता है, अन्यथा नहीं। According to Section 25 of the Indian Penal Code 1860, “Fraudulently” — A person is said to do […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 24 के अनुसार, ‘बेईमानी से’ — जो कोई इस आशय से कोई कार्य करता है कि एक व्यक्ति को सदोष अभिलाभ कारित करे या अन्य व्यक्ति को सदोष हानि कारित करे, वह उस कार्य को ‘बेईमानी से’ करता है, यह कहा जाता है। According to Section 24 of the […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 23 के अनुसार, ‘सदोष अभिलाभ’ – ‘सदोष अभिलाभ’ विधिविरुद्ध साधनों द्वारा ऐसी सम्पत्ति का अभिलाभ है, जिसका वैध रूप से हकदार अभिलाभ प्रापत करने वाला व्यक्ति न हो। ‘सदोष हानि’ – ‘सदोष हानि’ विधिविरुद्ध साधनों द्वारा ऐसी सम्पत्ति की हानि है, जिसका वैध रूप से हकदार हानि ...
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 76 के अनुसार, विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आपको विधि द्यारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य — कोई बात अपराध नहीं है, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 75 के अनुसार, पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दंड — जो कोई व्यक्ति— (क) भारत में से किसी न्यायालय द्वारा इस संहिता के अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक की अवधि के […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 72 के अनुसार, कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिए दंड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेश है वह किस अपराध का दोषी है — उन सब मामलों में, जिनमें यह निर्णय दिया जाता है कि कोई व्यक्ति उस निर्णय में विनिर्दिष्ट कई […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 71 के अनुसार, कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दंड की अवधि – जहाँ कि कोई बात, जो अपराध है, ऐसे भागों में, जिनमें का कोई भाग स्वयं अपराध है, मिलकर बनी है, वहाँ अपराधी अपने ऐसे अपराधों में से एक से अधिक के दंड से दंडित […]
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 68 के अनुसार, जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना – जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए अधिरोपित कारावास तब पर्यवसित हो जाएगा, जब वह जुर्माना या तो चुका दिया जाए या विधि की प्रक्रिया द्वारा उद्गृहीत कर लिया जाए।