(A) वह नन्दिनी दिन और रात्रि के मध्य सन्ध्या के समान सुशोभित हुई।
(B) मूर्ख व्यक्ति भाग्य को ही प्रमाण मानते हैं। (C) मनुष्य कभी धन से तृत्प नहीं हो सकता।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) किसी के न्यास अर्थात् धरोहर की रक्षा करना दु:खपूर्ण (दुष्कर) है।
(B) कष्ट सहन करने वाले तपस्वियों में से किससे प्रार्थना करें। (C) कम उम्र वाले व्यक्ति भी तप के कारण आदरणीय होते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) छाया के समान दुर्जनों और सज्जनों की मित्रता होती है।
(B) तीर्थ जल और अग्नि से अन्य पदार्थ से शुद्धि के योग्य नहीं होते हैं। (C) प्रत्येक कार्य में अनावश्यक विलम्ब करने वाला नष्ट होता है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) चरित्रहीन धनवान् भी दुर्दशा को प्राप्त होता है।
(B) राजा दिलीप ने नन्दिनी को छाया की भांति अनुसरण किया। (C) तेजस्वी पुरुषों की आयु नहीं देखी जाती है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) क्षण त्यागने से विद्या कहां और कण त्यागने से धन कहां।
(B) चित्र में लिखे हुए बाण निकालने के उद्योग में लगे हुए की भांति हो गया। (C) अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमृत की ओर ले जायें।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) समय पर आरम्भ की गयी नीतियां सफल होती हैं।
(B) मृत्यु समीप आ जाने पर कौन किसकी रक्षा कर सकता है। (C) हम सौ वर्ष तक देखने वाले और जीवित रहने वाले हों।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) समृद्धशाली राज्य इन्द्र के पद स्वर्ग के समान होता है।
(B) प्रियंवदा कहती है नवमालिका को गर्म जल से कौन सींचना चाहेगा। (C) माता-जन्मभूमि और स्वर्ग से भी बड़ी होती है।
(D) इनमें से कोई नहीं
8. क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः का अर्थ
(A) नियति अतिक्रमणीय होती है अर्थात् होनी नहीं टाला जा सकता।
(B) मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं। (C) जो प्रत्येक क्षण नवीनता को धारण करता है वही रमणीयता का स्वरूप है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) आचारों से पवित्र राजा दिलीप की सेवा में झरनों के कणों से सिञ्चित हवायें संलग्न थीं।
(B) कुटिल जनों के प्रति सरलता नीति नहीं होती। (C) सुन्दर आकृतियों के लिए क्या वस्तु अलंकार नहीं होती है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) भाग्य का उल्लड़्घन नहीं किया जा सकता।
(B) बड़ों की आज्ञा विचारणीय नहीं होती। (C) हे मनुष्य! उठो, जागो और श्रेष्ठ महापुरुषों को पाकर उनके द्वारा परब्रह्म परमेश्वर को जान लो।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) परस्त्री के विषय में बात करना अशिष्टता है।
(B) सदाचार का उल्लड़्घन नहीं करना चाहिए। (C) सम्पूर्ण जगत् के कण-कण में ईश्वर व्याप्त है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है।
(B) अत्यधिक आदर किया जाना शड़्कनीय है। (C) मुझे असत् से सत् की ओर ले जायें, अन्धकार से प्रकार की ओर ले जायें।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) कण्व कहते हैं– वृक्षों ने इस शकुन्तला को पतिगृह जाने की अनुमति दे दी है।
(B) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है। (C) आचार ही परम धर्म है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला उसी का घोर शत्रु है।
(B) कण्व कहते हैं– अब मैं इस वनज्योत्स्ना और तुम्हारे विषय में निश्चिन्त हो गया हूं। (C) बलवान् के साथ किया गया वैर-विरोध होना अनिष्ट अन्त है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) जिन दम्पतियों को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है उन्हें लोक शुभ नहीं होते।
(B) अशान्त (शान्ति रहित) व्यक्ति को सुख कैसे मिल सकता है? (C) अहिंसा परम धर्म है।
(D) इनमें से कोई नहीं