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1. विद्या विहीन पशु का अर्थ

(A) समृद्धशाली राज्य इन्द्र के पद स्वर्ग के समान होता है।
(B) प्रियंवदा कहती है नवमालिका को गर्म जल से कौन सींचना चाहेगा।
(C) विद्याविहीन मनुष्य पशु के समान है।
(D) इनमें से कोई नहीं

2. वाग्भूषणं भूषणम् का अर्थ

(A) नियति अतिक्रमणीय होती है अर्थात् होनी नहीं टाला जा सकता।
(B) मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं।
(C) वाणी रूपी भूषण (अलड़्कार) ही सदा बना रहता है, कभी नष्ट नहीं होता।
(D) इनमें से कोई नहीं

3. वसुधैव कुटुम्बकम का अर्थ

(A) बड़ों की आज्ञा विचारणीय नहीं होती।
(B) कुटिल जनों के प्रति सरलता नीति नहीं होती।
(C) सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार है।
(D) इनमें से कोई नहीं

4. लोभः पापस्य कारणम् का अर्थ

(A) सदाचार का उल्लड़्घन नहीं करना चाहिए।
(B) भाग्य का उल्लड़्घन नहीं किया जा सकता।
(C) (लालच) लोभ पाप का कारण है।
(D) इनमें से कोई नहीं

5. योग: कर्मसु कौशलम् का अर्थ

(A) अत्यधिक आदर किया जाना शड़्कनीय है।
(B) परस्त्री के विषय में बात करना अशिष्टता है।
(C) समत्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात् कर्मबन्धन से छूटने का उपाय है।
(D) इनमें से कोई नहीं

6. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः का अर्थ

(A) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है।
(B) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है।
(C) मनु कहते हैं– जिस कुल में स्त्रियां सम्मानित होती हैं, उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं

7. मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत् का अर्थ

(A) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है।
(B) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है।
(C) माता पिता की भली प्रकार से सेवा करनी चाहिये।
(D) इनमें से कोई नहीं

8. मा कश्चिद् दुख भागभवेत का अर्थ

(A) आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला उसी का घोर शत्रु है।
(B) अशान्त (शान्ति रहित) व्यक्ति को सुख कैसे मिल सकता है?
(C) कोई दु:खी न हो।
(D) इनमें से कोई नहीं

9. मा गृधः कस्यस्विद्धनम् का अर्थ

(A) सत्संगति मनुष्यों की कौन-सी भलाई नहीं करती।
(B) जिन दम्पतियों को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है उन्हें लोक शुभ नहीं होते।
(C) किसी के भी धन का लोभ मत करो।
(D) इनमें से कोई नहीं

10. प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः का अर्थ

(A) राजकुमार चंद्रापीड अपने स्थान को लौटने का अनुरोध कर रहे हैं।
(B) मित्र के प्राणों की रक्षा हर प्रकार से करनी चाहिए।
(C) नीचे लोग विघ्नों के भय से कार्य प्रारम्भ ही नहीं करते।
(D) इनमें से कोई नहीं

11. पदं हि सर्वत्र गुणैर्निधीयते का अर्थ

(A) दीन वचन मत बोलो।
(B) बोलने में क्या दारिद्र्य।
(C) गुण ही सर्वत्र शत्रु-मित्रादिकों में पैर को स्थापित करते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं

12. परोपकाराय सतां विभूतय: का अर्थ

(A) माता का स्नेह बलवान् होता है।
(B) अधिक बोलने वाले पर लोग श्रद्धा नहीं रखते।
(C) सज्जनों की विभूति (ऐश्वर्य) परोपकार के लिए है।
(D) इनमें से कोई नहीं

13. नास्ति विद्या समं चक्षु का अर्थ

(A) बलशाली के साथा क्या विरोध?
(B) होनहार बलवान् है, जो होना है वह होकर ही रहता है उसे टाला नहीं जा सकता।
(C) संसार में ब्रह्मविद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।
(D) इनमें से कोई नहीं

14. नास्ति मातृसमो गुरु का अर्थ

(A) पहले प्रसन्नतासूचक चिन्ह दिखाई पड़ते हैं तदन्तर फल की प्राप्ति होती है।
(B) प्रिय झूठ नहीं बोलना चाहिए यही सनातन धर्म है।
(C) भीष्म कहते हैं– माता के समान कोई गुरु नहीं।
(D) इनमें से कोई नहीं

15. नास्तिको वेदनिन्दकः का अर्थ

(A) सज्जन लोगों का धैर्य ही धन होता है।
(B) सभी लोग सब कुछ नहीं जानते हैं।
(C) वेदों की निन्दा करने वाला नास्तिक है।
(D) इनमें से कोई नहीं