(A) समृद्धशाली राज्य इन्द्र के पद स्वर्ग के समान होता है।
(B) प्रियंवदा कहती है नवमालिका को गर्म जल से कौन सींचना चाहेगा। (C) विद्याविहीन मनुष्य पशु के समान है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) नियति अतिक्रमणीय होती है अर्थात् होनी नहीं टाला जा सकता।
(B) मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं। (C) वाणी रूपी भूषण (अलड़्कार) ही सदा बना रहता है, कभी नष्ट नहीं होता।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) अत्यधिक आदर किया जाना शड़्कनीय है।
(B) परस्त्री के विषय में बात करना अशिष्टता है। (C) समत्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात् कर्मबन्धन से छूटने का उपाय है।
(D) इनमें से कोई नहीं
6. यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः का अर्थ
(A) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है।
(B) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है। (C) मनु कहते हैं– जिस कुल में स्त्रियां सम्मानित होती हैं, उस कुल से देवगण प्रसन्न होते हैं।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) अपने किये गये दोषों का फल निश्चय ही स्वयं को भोगना पड़ता है।
(B) अत्यधिक प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है। (C) माता पिता की भली प्रकार से सेवा करनी चाहिये।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला उसी का घोर शत्रु है।
(B) अशान्त (शान्ति रहित) व्यक्ति को सुख कैसे मिल सकता है? (C) कोई दु:खी न हो।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) सत्संगति मनुष्यों की कौन-सी भलाई नहीं करती।
(B) जिन दम्पतियों को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है उन्हें लोक शुभ नहीं होते। (C) किसी के भी धन का लोभ मत करो।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) राजकुमार चंद्रापीड अपने स्थान को लौटने का अनुरोध कर रहे हैं।
(B) मित्र के प्राणों की रक्षा हर प्रकार से करनी चाहिए। (C) नीचे लोग विघ्नों के भय से कार्य प्रारम्भ ही नहीं करते।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) माता का स्नेह बलवान् होता है।
(B) अधिक बोलने वाले पर लोग श्रद्धा नहीं रखते। (C) सज्जनों की विभूति (ऐश्वर्य) परोपकार के लिए है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) बलशाली के साथा क्या विरोध?
(B) होनहार बलवान् है, जो होना है वह होकर ही रहता है उसे टाला नहीं जा सकता। (C) संसार में ब्रह्मविद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) पहले प्रसन्नतासूचक चिन्ह दिखाई पड़ते हैं तदन्तर फल की प्राप्ति होती है।
(B) प्रिय झूठ नहीं बोलना चाहिए यही सनातन धर्म है। (C) भीष्म कहते हैं– माता के समान कोई गुरु नहीं।
(D) इनमें से कोई नहीं