(A) सभी प्राणियों को अपने समान समझना चाहिए।
(B) मूख को उपदेश देने से उसका क्रोध शान्त नहीं होता।
(C) पेट भरने के लिए अनेक प्रकार के रूप बनाने पड़ते हैं। (D) महपुरुष जिस पथ से जाते हैं, वही मार्ग अनुकरणीय है।
(A) सन्तोष सबसे बड़ा सुख है। (B) चुप रहने से सब काम हो जाते हैं।
(C) आहार, व्यवहार में लल्जा छोड़ने से ही सुख मिलता है।
(D) कुटिल मनुष्यों के साथ सरलता का व्यवहार नीति-युक्त नहीं है।
(A) संक्षिप्त, सार-रूप में कथन करना ही कला है।
(B) हठ न करना ही बुद्धिमानी है।
(C) कर्मशील मनस्वी व्यक्ति सुख-दुख की परवाह नहीं करता।
(D) भिन्न-भिन्न मनुष्य की प्रवृत्ति भिन्न होती है।
(A) एक स्थान पर सब गुण नही मिलते।
(B) सर्प को दूध पिलाना उसके विष को बढ़ाना है। (C) परोपकार सज्जनों की सम्पत्ति होती है।
(D) महल के शिखर पर बैठने से कौआ गरुड़ नहीं हो पाता।
(A) बन्धओं के मध्ये गरीब होकर रहना उचित नहीं है।
(B) मूर्खों के साथ स्वर्ग में रहना भी अच्छा नहीं है। (C) जननी और जन्म-भूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होती है।
(D) निवृक्ष प्रदेश में एरण्ड भी पेड़ कहलाने लगता है।
(A) मनुष्य के निरक्षर-जीवन से क्या लाभ। (B) उद्यमी पुरुष सिंह लक्ष्मी की प्राप्ति करते हैं।
(C) गुणहीन व्यक्ति बकवास अधिक करते हैं।
(D) देव भी निर्बल को दु:ख देता है।
(A) मूख को उपदेश देने से उसका क्रोध शान्त नहीं होता।
(B) पेट भरने के लिए अनेक प्रकार के रूप बनाने पड़ते हैं। (C) अच्छे अथवा बुरे जैसे कर्म किये हैं उनका फल भोगना ही पड़ेगा।
(D) गरीब का कौन मित्र?
(A) अति सर्वत्र वर्जित है।
(B) आहार, व्यवहार में लल्जा छोड़ने से ही सुख मिलता है।
(C) कुटिल मनुष्यों के साथ सरलता का व्यवहार नीति-युक्त नहीं है।
(D) सभी प्राणियों को अपने समान समझना चाहिए।