बिम्सटेक (BIMSTEC) क्या है : इसका पूरा नाम बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है। BIMSTEC बंगाल की खाड़ी से सटे हुए और समीपवर्ती देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इस संगठन में सात सदस्य देश हैं – भारत, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड, पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है। इस संगठन का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने और साझा हितों के मुद्दों पर समन्वय स्थापित करने के लिए सदस्य देशों के बीच सकारात्मक वातावरण बनाना है। इस संगठन को बैंकॉक डिक्लेरेशन के तहत 1997 में इस क्षेत्रीय संगठन को स्थापित किया गया था। शुरुआत में इसमें चार सदस्य देश थे और इसे बीआईएसट-ईसी – यानी बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग संगठन कहा गया था। म्यांमार को शामिल करने के बाद इसका नाम बीआईएमएसटी-ईसी हो गया। बाद में जब 2004 में भूटान और नेपाल को इसमें शामिल किया गया तो इसका नाम बिम्सटेक हो गया। इसका सचिवालय ढाका, बांग्लादेश में स्थित है।
बिम्सटेक (BIMSTEC: Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के बीच एक सेतु की तरह काम करता है। इस समूह में दो देश दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं। म्यांमार और थाईलैंड भारत को दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों से जोड़ने के क्रम में अति महत्त्वपूर्ण है। बिम्सटेक देशों के बीच मजबूत संबंध भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को गति प्रदान कर सकता है। इससे भारत-म्यांमार के बीच परिवहन परियोजना और भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग परियोजना के विकास में भी तेजी आएगी। चीन ने भूटान और भारत को छोड़कर लगभग सभी बिम्सटेक देशों में भारी निवेश कर रखा है। ऐसे में हिन्द महासागर तक पहुंचने के लिये बंगाल की खाड़ी तक पहुंच बनाना चीन के लिये जरूरी होता जा रहा है। जबकि भारत बंगाल की खाड़ी में अपनी पहुंच और प्रभुत्व को बनाए रखना चाहता है, इस उद्देश्य की सफलता में भी बिम्सटेक भारत के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका के चलते भारत बिम्सटेक को काफी महत्त्व देता है। इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।