Explanation : बिहारी पुरस्कार 2021 राजस्थान मूल की मधु कांकरिया को मिला है। के के बिरला फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2021 के इकत्तीसवें बिहारी पुरस्कार के लिए राजस्थान की प्रसिद्ध लेखिका मधु कांकरिया के उपन्यास ‘हम यहां थे’ का चयन किया गया है। पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2018 है। पुरस्कार के तहत प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और ढाई लाख रुपये की राशि भेंट की जाती है। यह पुरस्कार 1991 से प्रारंभ किया गया था। के के बिरला फाउंडेशन की ओर से प्रवर्तित तीन साहित्यिक सम्मान पुरस्कारों में से केवल एक राजस्थान के हिंदी, राजस्थानी लेखकों के लिए है। लेकिन, राजस्थानी की परिभाषा में राजस्थान के मूल निवासियों के अतिरिक्त वे लोग भी आते हैं जो पिछले सात वर्षों से या और अधिक समय से राजस्थान में रह रहे हैं। पिछले 10 वर्षों से राजस्थान के किसी लेखक की उत्कृष्ट हिंदी, राजस्थानी कृति को प्रतिवर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार महाकवि बिहारी के नाम पर है। निर्णायक समिति के अध्यक्ष ओम थानवी हैं।
राजस्थान मूल की मधु कांकरिया का जन्म 23 मार्च 1957 को कोलकाता में हुआ। उनके माता-पिता राजस्थान के निवासी थे। इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्रत्त् (आनर्स) में एम.ए. की शिक्षा प्राप्त की और कम्प्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा किया। मधु कांकरिया ने हिन्दी की अनेक विधाओं जैसे कविता, उपन्यास, संस्मरण आदि में रचनाएं लिखी हैं। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं खुले गगन लाल सितारे, सलाम आखिरी, पत्ता खोर, सेज पर संस्कृत, सूखते चिनार, बीतते हुए, भरी दोपहरी के अंधेरे, युद्ध और बुद्ध आदि हैं।
बिहारी पुरस्कार का प्रारंभ वर्ष 1991 में किया गया था। प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह पुरस्कार महाकवि 'बिहारी' के नाम पर दिया जाता है। केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा प्रवर्तित तीन साहित्य पुरस्कारों में से यह एक है, जिसे केवल राजस्थानी या राजस्थान के लेखकों को दिया जाता है। फाउंडेशन उन सभी को राजस्थानी की परिधि में मानता है, जो सात वर्ष से अधिक समय से रजस्थान में रह रहे हों। इस पुरस्कार में प्रशस्तिपत्र, प्रतीक चिन्ह्र व ढाई लाख रुपए की राशि भेंट की जाती है।
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