Explanation : भातखंडे जी की लिखी सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तकों की संख्या करीब 200 हैं। उनका जन्म 10 अगस्त, 1860 को मुंबई प्रांत के बालकेश्वर नामक स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उच्च ब्राह्मण वंश में हुआ था। इन्हें संगीत की शिक्षा अपने माता-पिता से मिली। वर्ष 1883 में बीए और 1890 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के उपरांत इन्होंने कराची शहर के हाईकोर्ट में वकालत करनी आरंभ कर दी और कामयाब वकील सिद्ध हुए, किंतु संगीत प्रेमी प्रकृति तो इनकी जन्म से ही थी। अत: पत्नी और बेटे की मृत्यु के उपरांत संगीत के क्षेत्र में प्रविष्ट हो गए।
पंडित भातखंडे जी (Pt. Vishnu Narayan Bhatkhande) का प्रथम कार्य स्वर लिपि का आविष्कार था। इनकी बनाई हुई स्वरलिपि सरल होते हुए भी पूर्ण उपयोगी है। इस स्वर लिपि का प्रचार सर्वाधिक है। पंडित जी ने देश भ्रमण के दौरान जो विविध प्रकार के ज्ञान ग्रहण किए उन सभी को स्वरलिपिबद्ध कर प्रकाशित कराया। ये राग एवं गीत क्रमिक पुस्तक मालिका के छह: भागों में प्रसिद्ध हुए। इसके बाद उनका दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है संगीत के प्रचलित स्वरूप के अनुसार उसकी शास्त्रीय जानकारी को एकत्रित करना। उन्होंने संगीत के कला पक्ष का और शास्त्रीय पक्ष का तालमेल स्थापित किया। वह जीवनभर संगीत क्षेत्र में कार्य करते रहे। अंत में फालिज पड़ने के कारण स्वास्थ्य बिगड़ गया तथा वर्ष 1936 में उनका निधन हो गया।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : सितार का आविष्कार अमीर खुसरो ने किया था। सितार के आविष्कार के संबंध में विद्वानों की अनेक धारणाऐं विद्यमान हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार सितार ईरानी अथवा पर्शियन वाद्य है जो मुसलमानों के आगमन के साथ भारत में आया। कुछ विद्वानों क ...Read More
Explanation : सितार में सात तार होते हैं। पहले तार को बाज का तार कहा जाता है। दूसरा तार जोड़े का होता है। अंतिम दो तारों को चिकारी कहते हैं। इस पर झाला वादन होता है। सितार के तार क्रमश: मंद्र म, मंद्र सा, मंद्र प (मंद्र सा) मद्र प (अतिमंद्र सा ...Read More
Explanation : तबले में 16 घर होते हैं। तबला पूर्णतया फारसी वाद्य है व फारस के तबल नामक वाद्य का ही भारतीय रूपांतर है। डॉ. लाल मणि मिश्र 'तबला' शब्द की व्युत्पत्ति फारस के तबल से मानते हैं जिसका अर्थ है वह वाद्य जिसका मुख ऊपर की ओर हो तथा जिसका ...Read More
Explanation : तबला बजाने वाले को तबला वादक (Tabla maestro) कहते हैं। तबला वादकों में बुगरा खां, लाल जी श्रीवास्तव, गिरीश चंद्र श्रीवास्तव, सन्तराम, निखिल घोष, शमसुद्दीन खा, मिया बक्श, मोदू खा, मुनीर खां, अहमद जान थिरकुवा, जाकिर हुसैन इत्यादि क ...Read More
Explanation : तबला अवनद्ध वाद्य यंत्र है। इस तरह के वाद्य यंत्र में ढोल, नगाडा, चंग ढफ आदि आते है। वाद्य यंत्रों को मुख्यतः चार श्रेणियों में बांटा गया हैं–तत् वाद्य यंत्र, सुषिर वाद्य यंत्र, अवनद्ध वाद्य यंत्र और घन वाद्य यंत्र। तबला भारतीय स ...Read More
Explanation : राग भैरवी प्रात:काल में गाया जाता है। यह भैरव की ही भाँति प्रातः कालिक ख्यातिलब्ध राग है पर इस राग को गाकर महफिल समाप्त करने की परंपरा प्रचार में है। संगीतशास्त्र में रागों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। राग के लिए कम से कम 5 स ...Read More
Explanation : तानपुरा का आविष्कार तुम्बरू नामक गंधर्व ने किया था। इसी कारण इसका नाम तंबूरा पड़ा। तंबूरा देवताओं के राजा इंद्र की सभा में एक बड़े गायक थे। तानपुरा की जाति के अन्य वाद्य दंड वीणा, एक तारा, दो तारा, महाराष्ट्र के तुण-तुण आदि मिलते ...Read More
Explanation : तानपुरा में चार तार होते हैं। जो लोहे और पीतल के बने होते हैं। पुरुषों के तानपुरे में चारों तार कुछ मोटे तथा स्त्रियों के तानपुरे में कुछ पतले होते हैं। प्रत्येक तार के नीचे मनका तथा सूत (डोरा) अटका रहता है। अच्छे तारों की ध्वनि ...Read More
Explanation : पंडित जसराज की मृत्यु 17 अगस्त 2020 को अमेरिका के न्यू जर्सी में हुई। वह भारत ही नहीं दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायकों में से एक थे। उनका जन्म 28 जनवरी, 1930 को हरियाणा के फतेहाबाद जिले के पीली मंदोरी में हुआ था। वह ...Read More
Explanation : पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी, 1930 को हिसार में हुआ। यह भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक थे। इनके पिता पं. मोतीराम तत्कालीन कश्मीरी राज्य के दरबारी गायक थे। इन्होंने संगीत की शिक्षा अपने पिता पं. मोतीराम व अग्रज पं. मठ ...Read More
Web Title : Bhatkhande Ji Ki Likhi Sarvadhik Prasidh Pustako Ki Sankhya Kitni Hai