भारतीय संसद के सदस्य के लिए योग्यता और अयोग्यता– भारतीय संसद के सदस्य बनने के लिए भारतीय संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं किये गये है। केवल व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए और यदि वह लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है, तो उसकी आयु 25 वर्ष और यदि वह राज्यसभा का चुनाव लड़ रहा है, तो उसकी आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। निर्वाचक कानून में एक विशेष प्रावधान यह दिया गया है कि लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति भारत में किसी भी राज्य के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा हो सकता है। लेकिन जो व्यक्ति राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहता है, उसे उसी राज्य के किसी संसदीय निर्वाचक क्षेत्र में मतदाता होना चाहिए।
भारतीय संसद के सदस्य के लिए योग्यता
किसी भी व्यक्ति को संसद सदस्य चुने जाने के लिए, उसे–
(a) भारत का नागरिक होना चाहिए;
(b) राज्यसभा के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष और लोकसभा के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए;
(c) संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित किसी प्राधिकारी के सामने शपथ या प्रतिज्ञान लेना चाहिए।
संसद विधि द्वारा कुछ अन्य अतिरिक्त योग्यताओं का निर्धारण कर सकती है (अनुच्छेद 84) फलस्वरूप, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत संसद ने निम्नलिखित अतिरिक्त योग्यताओं का निर्धारण किया है–
(a) उसे किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक निर्वाचक के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
(b) उसे किसी राज्य या संघ शासित प्रदेश में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य होना चाहिए, यदि वह उनके लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहता है। राज्यसभा की सदस्यता हेतु किसी व्यक्ति को उस राज्य विशेष का निवासी होना आवश्यक नहीं है।
भारतीय संसद के सदस्य के लिए अयोग्यता
संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत कोई व्यक्ति संसद सदस्य नहीं बन सकता यदि–
• वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर, जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना संसद नै विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है।
• वह विकृत चित्त हो और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसी घोषणा की गयी हो।
• वह घोषित दिवालिया हो।
• वह भारत का नागरिक न हो, या उसने स्वेच्छापूर्वक किसी विदेशी राष्ट्र की नागरिकता अर्जित कर ली हो, या वह किसी विदेशी राष्ट्र के प्रति निष्ठा स्वीकार करता हो;
• वह संसद द्वारा बनाई किसी विधि द्वारा अयोग्य घोषित किया गया हो।
संसद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत भी निरर्हताएं निर्धारित की हैं–
• वह चुनावी अपराध या चुनाव में भ्रष्ट आचरण के तहत दोषी करार न दिया गया हो।
• उसे किसी अपराध में दो वर्ष या उससे अधिक की सजा न हुई हो। परन्तु, प्रतिबंधात्मक निषेध विधि के अंतर्गत किसी व्यक्ति का बंदीकरण निरर्हता नहीं है।
• वह निर्धारित समय के अंदर चुनावी खर्च का ब्यौरा देने में असफल न रहा हो।
• वह ऐसे निगम में लाभ के पद या निदेशक या प्रबंध निदेशक के पद पर न हो, जिसमें सरकार का 25 प्रतिशत हिस्सा हो।
• उसे भ्रष्टाचार या निष्ठाहीन होने के कारण सरकारी सेवाओं से बर्खास्त न किया गया हो।
• उसे विभिन्न समूहों में शत्रुता बढ़ाने या रिश्वतखोरी के लिए दंडित न किया गया हो।
• उसे छूआछूत, दहेज व सती प्रथा जैसे सामाजिक अपराधों का प्रसार और इनमें संलिप्त न पाया गया हो। किसी सदस्य में उपरोक्त निरर्हताओं संबंधी प्रश्न पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होगा, यद्यपि राष्ट्रपति को निर्वाचन आयोग से राय लेकर उसी के तहत कार्य करना चाहिए।
अनुच्छेद 102 (1) के तहत, कोई व्यक्ति, संसद के किसी भी सदन के सदस्य होने या चुने जाने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा यदि वह संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। अनुच्छेद 191 के तहत ऐसा ही प्रावधान राज्य विधानपरिषद/विधानसभा के लिए भी किया गया है। हालाँकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि कोई व्यक्ति चाहे वह सदस्य हो या गैर-सदस्य तब तक
अयोग्य नहीं हो सकता जब तक उसे सजा ना मिली हो।