भारतीय प्रेस परिषद का गठन 4 जुलाई, 1966 को हुआ था। इसका गठन भारत में प्रेस के मानकों को बनाए रखने और सुधार की स्वतंत्रता के संरक्षण के उद्देश्य से किया गया था। भारतीय प्रेस परिषद के प्रथम अध्यक्ष जे आर माधोलकर थे। इस परिषद् की स्थापना भारतीय प्रेस परिषद् अधिनियम, 1965 के अंतर्गत एक कानूनी एवं अर्द्ध-न्यायिक निकाय के रूप में की गई थी। बता दे कि उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व में प्रेस के सन्दर्भ में एक नियामक संस्था की आवश्यकता महसूस की गई। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1916 में स्वीडन में प्रेस के लिए 'कोर्ट ऑफ ऑनर' के रूप में जानी जाने वाली प्रथम प्रेस परिषद् का गठन किया गया। वर्तमान में लगभग 50 देशों में प्रेस परिषद् स्थापित की जा चुकी है।
प्रेस अधिनियम, 1965 के अंतर्गत भारतीय प्रेस परिषद की संरचना निम्न प्रकार से है–
• प्रेस परिषद् में अध्यक्ष के अतिरिक्त 25 (कुल 25 + 1 = 26) सदस्य होते हैं। प्रेस परिषद् के अध्यक्ष को भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाएगा।
• 25 सदस्यों में से 3 सदस्य संसद के दोनों सदनों से लिए जाएँगे।
• 13 सदस्य श्रमजीवी पत्रकारों में से चुने जाएँगे, जिनमें से कम-से-कम 6 संपादक होंगे। इन संपादकों का समाचार-पत्रों के प्रबंधन और उसे नियंत्रण से कोई संबंध नहीं होना चाहिए।
• शेष सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे, जिन्हें शिक्षा, विज्ञान, विधि, साहित्य और संस्कृति में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव हो।
• संसद के 3 सदस्यों में से लोकसभा से 2 सदस्य होंगे, जोकि स्पीकर द्वारा नामित किए जाएँगे तथा राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करने वाला सदस्य राज्यसभा सभापति द्वारा नामित किया जाएगा।
• शेष 22 सदस्य भारत के मुख्य न्यायमूर्ति, प्रेस परिषद् के अध्यक्ष और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित एक व्यक्ति की 3 सदस्यीय चयन समिति द्वारा चुने जाएँगे।
• अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति 3 वर्ष के लिए की जाएगी। कोई भी सदस्य कुल मिलाकर 6 वर्षों से अधिक की अवधि के लिए पद धारण नहीं करेगा।
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