भारत के संविधान की उद्देशिका क्या है?

(A) संविधान का भाग है किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती
(B) संविधान का भाग नहीं है और कोई विधिक प्रभाव भी नहीं रखती
(C) संविधान का भाग है और वैसा ही विधिक प्रभाव रखती है, जैसा कि उसका कोई अन्य भाग
(D) संविधान का भाग है किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।

Answer : संविधान का भाग है किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है।

Explanation : भारत के संविधान की उद्देशिका संविधान का भाग है किंतु उसके अन्य भागों से स्वतंत्र होकर उसका कोई विधिक प्रभाव नहीं है। वेरूबाडी केस (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना या उद्देशिका संविधान का भाग नहीं है। इसके बाद वर्ष 1973 में केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना कि प्रस्तावना संविधान का भाग है। इसके बाद LIC मामले (1995) में सर्वोच्च न्यायालय ने पुन: यह माना कि प्रस्तावना संविधान का आंतरिक हिस्सा है। अतः प्रस्तावना की मूल विशेषताओं को अनुच्छेद-368 के तहत संशोधित नहीं किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय का मत संविधान के जनकों के मत से निम्न रूपों में साम्यता रखता है–
– प्रस्तावना न तो विधायिका की शक्ति का स्रोत है और न ही उसकी शक्तियों पर प्रतिबंध लगाने वाला है।
– यह गैर-न्यायिक है अर्थात् इसकी व्यवस्थाओं को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
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Web Title : Bharat Ke Samvidhan Ki Udeshika Kya Hai