भारत में बहुप्रतीक्षित लोकपाल का गठन मार्च 2019 में हुआ। भ्रष्टाचार पर निगाह रखने वाली इस सर्वोच्च संस्था का प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 19 मार्च, 2019 को नियुक्त किया हैं। राष्ट्रपति ने 23 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें इस पद की शपथ दिलाई। लोकपाल में आठ सदस्यों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा इसके साथ ही 19 मार्च को की गई हैं, जिन्हें बाद में लोकपाल न्यायमूर्ति घोष ने 27 मार्च को शपथ दिलाई।
लोकपाल के 8 सदस्यों में 4 न्यायिक व 4 गैर न्यायिक सदस्य हैं–
न्यायिक सदस्य
1. न्यायमूर्ति दिलीप बाबासाहेब भोंसले
2. न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती
3. न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी
4. न्यायमूर्ति अज कुमार त्रिापाठी
न्यायिक सदस्यों के अलावा सदस्य
5. श्री दिनेश कुमार जैन
6. श्रीमती अर्चना रामसुन्दरम
7. श्री महेन्द्र सिंह
8. डॉ. इन्द्रजीत प्रसाद गौतम
सभी चारों न्यायिक सदस्य उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जबकि गैर न्यायिक सदस्यों में श्री दिनेश कुमार जैन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव, श्रीमती अर्चना रामसुन्दरम सशस्त्र सीमा बल (SSB) की पूर्व महानिदेशक, महेन्द्र सिंह भारतीय राजस्व सेवा के तथा डॉ. गौतम भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हैं।
28 मई, 1952 को जन्में न्यायमूर्ति पिनाकी चन्द्र घोष 27 मई, 2017 को सर्वोच्च् न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे, वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति शम्भू चंद्र घोष के पुत्र हैं, वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं।
लोकपाल व उसके सदस्यों की यह नियुक्तियां 2013 में पारित लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम के तहत् की गई हैं केन्द्र में लोकपाल तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्तियों का प्रावधान इस अधिनियम में किया गया हैं, केन्द्र में लोकपाल व इसके अधिकतम आठ सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान इसमें किया गया हैं।
सर्चोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीशों के तर्ज पर लोकपाल व उसके सभी सदस्यों का कार्यकाल 5-5 वर्ष होगा, किन्तु अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक ही वह इन पदों पर रह सकेंगे।
लोकपाल के चेयरमैन के वेतन एवं भत्ते सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की तर्ज पर एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्ते सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तर्ज पर ही होंगे।
इन सभी की यह नियुक्ति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की संस्तुति के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की गई हैं, चयन समिति के अन्य सदस्यों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व जाने-माने विधिवेत्ता मुकुल रोहतगी शामिल थे, लोकसभा में विपक्ष के नेता भी इस चयन समिति में सदस्य हैं, वर्तमान में लोकसभा में विपक्ष के नेता को कोई पद न होने के कारण सबसे बड़े विपक्षी दल (कांग्रेस) के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष आमंत्रित के रूप में समिति में आमंत्रित किया गया था लेकिन खड़गे इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे।