‘बीटिंग द रिट्रीट’ (Beating The Retreat) भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है। यह हर वर्ष 29 जनवरी के दिन मनाया जाता है। बीटिंग द रिट्रीट लंबे समय से चली आ रही सैन्य परंपरा है। तब सेनाऐं दिन भर युद्ध के बाद शिविरों में लौटती थीं। इस दौरान सेनाएं जोश बनाए रखने के लिए जश्न मनाती हुई शिविरों में लौटा करती थीं। बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह (Beating The Retreat Ceremony) में राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते हैं। राष्ट्रपति भवन से समारोह स्थल तक राष्ट्रपति को उनके अंगरक्षक और कैवेरी यूनिट विशेष सुरक्षा के बीच लेकर आते हैं।
‘बीटिंग द रिट्रीट’ की शुरुआत कब हुई?
बीटिंग रिट्रीट (Beating Retreat) ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है। इसका असली नाम ‘वॉच सेटिंग’ है और यह सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है। भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत वर्ष 1950 से हुई। वर्ष 1950 से अब तक भारत के गणतंत्र बनने के बाद बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम को दो बार रद्द करना पड़ा है। पहला 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी 2009 को देश के आठवें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया।
बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कैसे मनाई जाती है?
तीनों सेनओं के बैंड एक साथ मिलकर धुन बजाते हैं और इसी के साथ बीटिंग द रिट्रीट (Beating Retreat) सेरेमनी की शुरुआत हो जाती है। इस दौरान कई लोकप्रिय धुनें बजाई जाती हैं। ड्रमर्स महात्मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक एबाइडिड विद मी बजाते हैं। इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। बैंड मार्च वापस जाते समय ‘सारे जहां से अच्छा…’ की धुन बजाई जाती है। ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को उतार लिया जाता हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है। इस तरह गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है।
इस वर्ष 2019 में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। जिन्होंने तिरंगे को सलामी दी। कार्यक्रम में पारंपरिक धुनों के साथ तीनों सेनाओं (जल, थल, वायु) के बैंड मार्च किया। सभी बैंड ने मिलकर कुल 27 प्रस्तुतियां दीं। इस बार कुल 8 विदेशी धुनें भी बजायी गईं। प्रमुख संचालक कोमोडोर विजय डी क्रूज थे। सेना के बैंड संचालक सूबेदार परविंदर सिंह, वायुसेना के बैंड संचालक अशोक कुमार है और नौसेना के संचालक पेट्टी ऑफिसर विंसेंट जॉन रहे। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद रहे।