Explanation : बांसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना वर्ष 1943 में हुई थी। इसका गठन भूपेंद्रलाल त्रिवेदी, धूलजी भाई और मणिशंकर ने किया था। 'सौ द्वीपों का शहर' के उपनाम से प्रसिद्ध बांसवाड़ा का नाम यहां के प्रतापी शासक बोसना के कारण पड़ा था। बांसवाड़ा राज्य की नींव महारावल जगमलसिंह ने डाली थी। वर्तमान में बांसवाड़ा राजस्थान का एक जिला है जो दक्षिणी भाग मे गुजरात व मध्य प्रदेश की सीमा से ल्रगा हुआ है। बांसवाड़ा को राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहां की जीवन वाहिनी नदी माही मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती है। बांसवाड़ा में जंगल बहूतायत में मौजूद है इसलिए यहां लकडी और वनस्पति प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है।....अगला सवाल पढ़े
Explanation : आइन-ए-अकबरी (Ain-i-Akbari) पांच भागों में विभक्त है, जिसमें आखिरी भाग 'अकबरनामा' हैं। इसकी रचना अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल द्वारा की गई थी। वास्तव में 'आइन-ए-अकबरी' उन नियमों का संग्रह है, जिनका निर्माण अकबर द्वारा अपने ...Read More
Explanation : कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेर ...Read More
Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गो ...Read More
Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना (Bayana) था। बयाना आधुनिक राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। प्राचीन काल मे इसे बाणपुर कहा जाता था, जिसका संबंध बाणाुसर तथा उसकी पुत्री उमा से बताया जाता है। बयाना ...Read More
Explanation : तरनतारन नामक नगर की स्थापना सिख गुरु गुरु अर्जुन देव ने की थी। वे सिक्खों के 5वें गुरु थे। उन्होंने सिक्ख धर्म के प्रचार के लिए जगह-जगह संगतों की स्थापना करवाई। इन्होंने अमृतसर में तरनतारन एवं करतारपुर नगरों की स्थापना की। इन्हों ...Read More
Explanation : गुरु ग्रंथ साहिब में सूफी संत शेख फरीद की रचनाएं संकलित है। पंजाब के सूफी संतों में भक्त शेख फरीद जी का नाम प्रमुखता से आता है। भक्त शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी, शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी शकरगंज इत्यादि नामों से पहचाने जाने वाले शे ...Read More
Explanation : सिखों के पांचवें गुरू अर्जुन देव द्वारा संकलित पवित्र ‘आदिग्रंथ’ में बाबा फरीद नाम से मशहूर सूफी संत फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर (Fariduddin Ganjshakar) के विचारों को संकलित किया गया है। रैदास, कबीर, नानक आदि संतों की भी वाणी ‘गुरू ग्रं ...Read More
यूक्लिड की रेखागणित (द एलिमेंट्स The elements) का अनुवाद संस्कृत में पंडित जगन्नाथ सम्राट (1652–1744) ने किया था। ये आमेर के शासक महाराजा जयसिंह द्वितीय के दरबार में सम्मानित वैज्ञानिक थे। ये भारत के संस्कृत, पालि, प्राकृत, गणित, खगोलशास्त्र, रेखागणि ...Read More
Explanation : महाराणा प्रताप के दरबारी पंडित का नाम चंद्रमौलि मिश्र था। जो प्रताप के दरबार में मुख्य पंडित थे। वे चित्तौड़ के पास मिश्रों की पीपली के चौबे डूंगर मिश्र के पुत्र थे। महाराणा प्रताप ने इसी पंडित लेखक से राज्याभिषेक पद्धति, व्यवहार ...Read More
Explanation : गौतम बुद्ध की मृत्यु उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुशीनगर में हुई थी। इस स्थान को कुशीनारा और कुशावती नाम से भी जानते हैं। यहां कुशीनारा के मल्लों का राज्य था। गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पू में 80 ...Read More
Web Title : Banswara Prajamandal Ki Sthapna Kab Hui