बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) अपने दुर्गुण अधिक होकर भी न देखना लेकिन दूसरे के थोड़े अवगुण को भी देखना
(B) स्वार्थी आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता
(C) अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है
(D) जिसे कष्ट नहीं भोगना पड़ा हो वह दूसरे का कष्ट क्या समझे

Answer : जिसे कष्ट नहीं भोगना पड़ा हो वह दूसरे का कष्ट क्या समझे

Explanation : बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा का अर्थ banjh kya jane prasav ki pida है 'जिसे कष्ट नहीं भोगना पड़ा हो वह दूसरे का कष्ट क्या समझे।' हिंदी लोकोक्ति बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा का वाक्य में प्रयोग होगा – कितनी कड़ी मेहनत करके गंगा प्रसाद ने जायदाद बनाई, अब उसके बेटे उसे उड़ा रहे हैं। सच है, बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'बांझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Banjh Kya Jane Prasav Ki Pida