Explanation : बल्लया आभूषण हाथों में पहना जाता है। राजस्थानी स्त्रियों के बाजू व हाथ के आभूषणों में टड्डा, वट्टा, तकमा, बाजूबंद, पट, फूंदना, अणत, पूंचिया, चूडियां, चूड़ा, कड़ा, मौखड़ी, (लाख का कड़ा), बंगड़ी, हथफूल, कंकण, बल्लया, नोगरी, गजरा, गोखरु, नवरतन, हारपान, पाटला आदि है। अपने सौदर्य को ज्यादा निखार देने के लिए वह गला व छाती में तुलसी बजंट्टी, हालरो, हांसली, पोत, चन्द्रमाला, कंठमाला, हाकर, चंपाकली, कंठी, पंचलड़ी, मटरमाला, मोहनमाला, जालरो, चंद्रहार, तिमणिया, ढुस्सी, निबोरी, जुगावली, कंठसारी, मांदलिया, खुंगाली, जंजीर, हार, हंसहार, कंठी नामक आभूषण भी पहना करती है।
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