Explanation : अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी का दरबारी कवि था। यह राजकीय सेवा में सर्वप्रथम बलबन के पुत्र मुहम्मद के काल में आये। इन्हें सर्वाधिक छह सुतानों के अन्तर्गत सेवा का मौका मिला। इसकी प्रमुख कृतियों में किरान-उस-सादेन, खजाइन-उल-पफुतूह, तारीखे अलाई, आशिका, नूह-सिपिहर व तुगलकनामा प्रमुख हैं। खजाइन–उल–फुतूह व तारीखे अलाई से अलाउद्दीन के शासनकाल की जानकारी हासिल होती है। अमीर खुसरो एक शायर, कहानीकार, व्यंग्यकार, शब्दकोषकार, भाषाविद, बहुभाषी, इतिहासकार, दार्शनिक, अखबारनवीस, पुस्तकालयाध्यक्ष, खुशनवीस, नीतिकार, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी, हकीम, महान संगीतज्ञ, जानवरों और परिंदों की जबान के ज्ञाता, बहादुर और कुशल फौजी योद्धा तथा बड़े सूफी संत थे। अमीर खुसरो की याददाश्त बहुत अच्छी थी। पहली दफा में जो कुछ भी वे सुनते थे, वह उन्हें फौरन याद हो जाता था। बचपन से ही उन्होंने कुरान, हदीस, इस्लामी शरीअत या धार्मिक कानून, फलसफा (दर्शन शास्त्र), गीता, महाभारत, रामायण, वेद, पुराण, उपनिषद्, दर्शन शास्त्र, आयुर्वेद, यूनानी दवा आदि के गहन अध्ययन का मौका मिला। खुसरो जन्मजात फिलबदीं शायर यानी आशु कवि थे। वे मौके की नजाकत को समझ कर तुरंत कविता या तुकबंदी कर लेते थे।
इसके अलावा अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा। उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। खजाइन उल फुतूह व तारीेखे अलाई से अलाउद्दीन के शासनकाल की जानकारी हासिल होती है। बता दे कि अमीर खुसरो का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम अमीर मुहम्मद सैफुद्दीन था। ये बलबन से चंगेज खाँ के अत्याचारों से घबराकर भाग आए तथा पटियाला में आकर बस गए। यहाँ खुसरो का जन्म सन् 1253 में हुआ। अमीर खुसरो का प्रारंभिक नाम अबुलहसन था।
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