भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 99 के अनुसार,
कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है – यदि कोई कार्य, जिससे मृत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित नहीं होती, सद्भभावपूर्वक अपने पदाभास में कार्य करते हुए लोक सेवक द्वारा किया जाता है या किए जाने का प्रयत्न किया जाता है तो वह उस कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है, चाहे वह कार्य विधि अनुसार सर्वथा न्यायनुमत न भी हो।
यदि कोई कार्य, जिससे मृत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 116 के अनुसार,
कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण – यदि अपराध न किया जाए – जो कोई कारावास से दंडनीय अपराध का दुष्प्रेरण करेया यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए और ऐसे दुष्प्रेरण के दंड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध इस संहिता में नहीं किया गया है, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के कारावास से ऐसी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोन ...read more
अष्टांगिक मार्ग क्या है, आइये जानते है। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया था। यह हर दृष्टि से जीवन को शांतिपूर्ण और आनंदमय बनाता है।बौद्ध धर्म अनुयायी इन्हीं मार्गों पर चलकर मोक्ष प्राप्त करते हैं। बुद्ध द्वारा बताए गए इन 8 मार्गों का अपना अलग मतलब है।
क्या है आष्टांगिक मार्ग?
1. सम्यक दृष्टि : इसे सही दृष्टि कह सकते हैं। इसे यथार्थ को समझने की दृष्टि भी कह सकते हैं। सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि हम जीवन के दुःख और सुख का सही अवलोकन करें। आर्य सत्यों को समझें।
2. सम्यक संकल्प : ज ...read more
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 66 के अनुसार,
जुर्माना न देने पर किस भाँति का कारावास दिया जाए – वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने के लिए अधिरोपित करे, ऐसा किसी भाँति का हो सकेगा, जिससे अपराधी को उस अपराध के लिए दंडादिष्ट किया जा सकता था।
According to Section 66 of the Indian Penal Code 1860,
Description of imprisonment for non-payment of fine — The imprisonment which the Court imposes in default of payment of a fine may be of any description to which the offender mi ...read more