भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 75 के अनुसार,
पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दंड — जो कोई व्यक्ति—
(क) भारत में से किसी न्यायालय द्वारा इस संहिता के अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए दोनों में से किसी भाँति के कारावास से दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराए जाने के पश्चात् उन दोनों अध्यायों में से किसी अध्याय के अधीन उतनी ही अवधि के लिए वैसे ही कारावास से दंडनीय किसी अपराध का दोषी हो, तो वह हर ऐसे पश्चातवर्ती अपराध के लिए आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा।
According to Section 75 of the Indian Penal Code 1860,
Enhanced punishment for certain offences under Chapter XII or Chapter XVII after previous conviction — Whoever, having been convicted,—
(a) by a Court in India, of an offence punishable under Chapter XII or Chapter XVII of this Code with imprisonment of either description for a term of three years or upwards, shall be guilty of any offence punishable under either of those Chapters with like imprisonment for the like term, shall be subject for every such subsequent offence to imprisonment for life, or to imprisonment of either description for a term which may extend to ten years.