(A) भारत के राज्य-क्षेत्र के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को तर्कसंगत आधार के बिना उसकी दैहिक स्वतन्त्रता से वंचित रखने का प्राधिकार राज्य के पास नहीं है।
(B) किसी व्यक्ति को उसकी दैहिक स्वतन्त्रता से वंचित रखने का आधार विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही होना चाहिए।
(C) दैहिक स्वतन्त्रता को न्यायिक बन्दी प्रत्यक्षीकरण रिट द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है।
(D) एके गोपालन बनाम मद्रास राज्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने बहुमत से ‘विधि की सम्यक् प्रक्रिया’ को गढ़ा।