Explanation : एनसीसी (NCC) की स्थापना 16 अप्रैल 1948 में कुंजरु समिति ने की थी। वर्ष 1939-45 के द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यूनिवर्सिटी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कोर अपने उद्देश्य में असफल रहा। इसकी असफलता को ध्यान में रखते हुए तथा छात्रों को सैन्य प्रशिक्षण देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1946 में पंडित हृदयनाथ कुंजरू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कैडिट कोर समिति की स्थापना की। इस समिति ने विश्व के विकसित देशों में युवकों के सैन्य प्रशिक्षण का गहन अध्ययन करने के पश्चात् मार्च 1947 में अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की। जिसे 13 मार्च 1948 को संविधान सभा (विधानमंडल) के समक्ष रखा गया था और 19 मार्च 1948 को संविधान सभा (विधानसभा) को भेजा गया था। जिसमें विचार-विमर्श और संशोधन के बाद, विधेयक 08 अप्रैल 1948 को विधानसभा द्वारा पारित किया गया। सरकार ने समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए एक बिल तैयार किया जो 16 जुलाई, 1948 में संसद द्वारा पारित होकर 'राष्ट्रीय कैडिट कोर अधिनियम' बन गया। 'राष्ट्रीय कैडेट कोर' नाम भी कुंजुरु समिति द्वारा दिया गया था। इसी अधिनियम के अन्तर्गत विद्यालयों में राष्ट्रीय कैडिट कोर (NCC) की स्थापना हुई। एनसीसी के गठन के बाद इसके मुख्यालय को एनसीसी सचिवालय कहा जाता था, जिसे अब मुख्यालय महानिदेशालय कहा जाता है।
एनसीसी के सफल संचालन के लिए अप्रैल, 1948 में रक्षा मंत्रालय में राष्ट्रीय कैडिट कोर निदेशालय की स्थापना की गई। कर्नल के समकक्ष सैनिक अधिकारी जी. जी. बैबूर को उसका प्रथम निदेशक नियुक्त किया गया। एनसीसी का विस्तार होने पर यह पद बढ़ाकर वर्ष 1954 में ब्रिगेडियर तथा वर्ष 1961 में मेजर जनरल का कर दिया गया तथा वर्ष 1962 में इस पद का नाम महानिदेशक राष्ट्रीय कैडिट कोर कर दिया गया तथा मेजर जनरल आर० एस० पेण्टल को उसका प्रथम महानिदेशक नियुक्त किया गया। वर्ष 1982 में फिर महानिदेशक का औहदा बढ़ाकर लेफ्टिनेंट जनरल का कर दिया गया।
राष्ट्रीय कैडिट कोर 'एनसीसी' के उद्देश्य (Aims of NCC) हैं–
1. देश के युवाओं में चरित्र, साहचर्य, अनुशासन, नेतृत्व, धर्मनिरपेक्षता, रोमांच, स्पोर्ट मैनशिप, तथा नि:स्वार्थ सेवा-भाव का संचार करना।
2. संगठित, प्रशिक्षित एवं प्रेरित युवकों का एक मानव संसाधन तैयार करना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करना एवं देश की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना।
3. सशस्त्र सेना में जीविका (कैरियर) बनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करने हेतु उचित वातावरण प्रदान करना।
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