Explanation : ई-कचरा उत्पादन में भारत का पांचवा स्थान है। ई-कचरा उत्पादन में पहला देश चीन, दूसरा अमेरिका, तीसरा जापान और चौथा जर्मनी आता है। भारत में ई-कचरे में सर्वाधिक योगदान महाराष्ट्र (19.8 प्रतिशत) का है। वह सिर्फ 47,810 टन कचरे को सालाना रिसाइकिल कर दोबारा प्रयोग के लायक बनाता है। ई-कचरे में तमिलनाडु का योगदान 13 प्रतिशत है और वह 52,427 टन कचरे को रिसाइकिल करता है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश (10.1 प्रतिशत) 86,130 टन कचरा रिसाइकिल करता है। देश के ई-कचरे में पश्चिम बंगाल का 9.8 प्रतिशत, दिल्ली 9.5 प्रतिशत, कर्नाटक 8.9 प्रतिशत, गुजरात 8.8 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 7.6 प्रतिशत योगदान है।
इस तरह भारत करीब 20 लाख टन सालाना ई-कचरा पैदा करता है और जिसमें से कुल 4,38,085 टन कचरा सालाना रिसाइकिल किया जाता है। ई-कचरे में आम तौर पर फेंके हुए कंप्यूटर मॉनीटर, मदरबोर्ड, कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी), प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), मोबाइल फोन और चार्जर, कॉम्पैक्ट डिस्क, हेडफोन के साथ एलसीडी (लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले) या प्लाज्मा टीवी, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर शामिल हैं। वही असुरक्षित ई-कचरे को रिसाइकिल के दौरान उत्सर्जित रसायनों/प्रदूषकों के संपर्क में आने से तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रणाली, गुर्दे और मस्तिष्क विकार, श्वसन संबंधी विकार, त्वचा विकार, गले में सूजन, फेफड़ों का कैंसर, दिल, यकृत को नुकसान पहुंचता है। बता दे कि अधिक जनसंख्या भी बढ़ते हुए ई-कचरे का कारण होती है।
....अगला सवाल पढ़े