मरे को मारे शाहमदार का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) दु:खी को और दु:खी करना बहादुरी नहीं है
(B) एक काम करना और उसी से सम्बन्धित दूसरे काम को करने में हिचक होना
(C) स्वार्थी व्यक्ति स्वार्थ के लिए साथ होता है। ​स्वार्थ सिद्ध होते ही वह मुंह फेर लेता है
(D) गंवार सिधाई से कम मूल्य की वस्तु न देकर अधिक मूल्य की वस्तु दे देता है

Answer : दु:खी को और दु:खी करना बहादुरी नहीं है

Explanation : मरे को मारे शाहमदार का अर्थ mare ko maare shahmadar है 'दु:खी को और दु:खी करना बहादुरी नहीं है।' हिंदी लोकोक्ति मरे को मारे शाहमदार का वाक्य में प्रयोग होगा – अक्सर लोग गरीब रिक्शेवालों को पैसे कम देते हैं लेकिन इससे भी अधिक अत्याचार पुलिस वाले करते हैं जो। लेकिन अब गरीब रिक्शेवाले भी जाग्रत हो गये हें जिससे अब मरे को मारे शाहमदार की उक्ति नहीं चल पायेगी।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'मरे को मारे शाहमदार' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Mare Ko Maare Shahmadar