जाके पाँव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) अवसर बीत जाने पर चेष्टा व्य​र्थ
(B) जांच के लिए थोड़ा सा नमूना ही लिया जाता है
(C) जिसने स्वयं दु:ख नहीं झेला है, वह दूसरे के दु:ख को नहीं समझ सकता
(D) समय आने पर परिश्रम सफल होता है

Answer : जिसने स्वयं दु:ख नहीं झेला है, वह दूसरे के दु:ख को नहीं समझ सकता

Explanation : जाके पाँव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई का अर्थ jake panv na fati bewai vo kya jane peer parai है 'जिसने स्वयं दु:ख नहीं झेला है, वह दूसरे के दु:ख को नहीं समझ सकता।' हिंदी लोकोक्ति जाके पाँव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई का वाक्य में प्रयोग होगा – तुम मेरे दु:ख दर्द को नहीं समय सकते क्योंकि फटी न जाके पांव बिवाई सो क्या जाने पीर पराई।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जाके पाँव न फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Jake Panv Na Fati Bewai Vo Kya Jane Peer Parai