धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) बलवान पर बस न चले तो निर्बल पर गुस्सा उतारना
(B) सख्ती करने से लोग नियंत्रित होते है
(C) अपनों का कोई नुकसान नहीं करता
(D) अपना सब को प्यारा होता है

Answer : बलवान पर बस न चले तो निर्बल पर गुस्सा उतारना

Explanation : धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे का अर्थ dhobi par bas na chala to gadhe ke kaan umethe है 'बलवान पर बस न चले तो निर्बल पर गुस्सा उतारना।' हिंदी लोकोक्ति धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे का वाक्य में प्रयोग होगा – अपने अधिकारी की डांट डंपट सुनकर जैसे ही वर्मा जी कार्यालय से घर लौटे पत्नी ने सब्जी बाजार से लाने को कहा जिस पर वर्मा जी पत्नी पर बरस पड़े। पत्नी भी कम न थी तुनक कर बोली, 'आफिस का गुस्सा घर पर उतारते हैं-धोबी पर बस न चले तो गधे के कान उमेठे।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Dhobi Par Bas Na Chala To Gadhe Ke Kaan Umethe