दुनिया का मुंह किसने रोका है का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है
(B) भाग्यहीन को कहीं सुख नहीं मिलता
(C) लोगों को निन्दा करने से कोई नहीं रोक सकता
(D) जब तक जीवन है तब तक कोई न कोई काम-धंधा करना ही पड़ता है

Answer : लोगों को निन्दा करने से कोई नहीं रोक सकता

Explanation : दुनिया का मुंह किसने रोका है का अर्थ duniya ka muh kisne roka hai है 'लोगों को निन्दा करने से कोई नहीं रोक सकता।' हिंदी लोकोक्ति दुनिया का मुंह किसने रोका है का वाक्य में प्रयोग होगा – पाकिस्तान के सैनिक राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का भारत में जो स्वागत हुआ उससे भारतीय आतिथ्य अपने गौरव व परमपरा की रक्षा करने में सफल रहा जो आसान नहीं था क्योंकि पांच दशकों के कर्कश इतिहास का बोझ भारतीय जनमानस पर हावी था। लेकिन दुनिया का क्या? दुनिया का मुंह किसने रोका है दुनिया तो कुछ न कुछ कहेगी ही।  हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'दुनिया का मुंह किसने रोका है' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Duniya Ka Muh Kisne Roka Hai