जीती मक्खी नहीं निगली जाती का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) नित्य परिश्रम करके पेट भरना
(B) जान बूझकर किसी अप्रिय बात को नहीं ग्रहण किया जा सकता
(C) कोई परिवर्तन नहीं हुआ
(D) थोड़ी चीज के लिए कष्ट अधिक

Answer : जान बूझकर किसी अप्रिय बात को नहीं ग्रहण किया जा सकता

Explanation : जीती मक्खी नहीं निगली जाती का अर्थ jiti makkhi nahi nigli jati है 'जान बूझकर किसी अप्रिय बात को नहीं ग्रहण किया जा सकता।' हिंदी लोकोक्ति जीती मक्खी नहीं निगली जाती का वाक्य में प्रयोग होगा – जो लोग बहुपत्नीत्व का समर्थन करते हैं वे भूल जाते हैं कि स्त्रियों के लिए वैधव्य की अपेक्षा सौत की उपस्थिति अधिक असह्य होती है। वे जीती मक्खी नहीं निगल सकती हैं। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'जीती मक्खी नहीं निगली जाती' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Jiti Makkhi Nahi Nigli Jati