घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) अच्छी वस्तु का रूप-रंग नहीं देखा जाता
(B) अपनी वस्तु का स्वयं के प्रयोग में लाना
(C) घर का मनुष्य चाहे कितना ही योग्य क्यों न हो, उसकी प्रतिष्ठा नहीं होती/अपने लोगों का आदर न करके दूसरों को श्रद्धास्पद समझना
(D) सब क्षण भंगुर है, सुख के बाद दु:ख अवश्यम्भावी है

Answer : घर का मनुष्य चाहे कितना ही योग्य क्यों न हो, उसकी प्रतिष्ठा नहीं होती/अपने लोगों का आदर न करके दूसरों को श्रद्धास्पद समझना

Explanation : घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध का अर्थ ghar ka jogi jogna aan ganv ka siddh है 'घर का मनुष्य चाहे कितना ही योग्य क्यों न हो, उसकी प्रतिष्ठा नहीं होती/अपने लोगों का आदर न करके दूसरों को श्रद्धास्पद समझना।' हिंदी लोकोक्ति घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध का वाक्य में प्रयोग होगा – मेरे पड़ोसी ज्योतिषाचार्य जी से बाहरी लोग परामर्श लेने दूर-दूर से आते हैं परन्तु घर के लोग मुहूर्त तिथि, व्रत की जानकारी आदि मंदिर के पुजारी से पूंछने जाते हैं, सच है, घर का जोगी जोगना आन गांव का सिद्ध। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams
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Web Title : Ghar Ka Jogi Jogna Aan Ganv Ka Siddh