(A) अच्छी वस्तु का रूप-रंग नहीं देखा जाता
(B) अपनी वस्तु का स्वयं के प्रयोग में लाना
(C) घर का मनुष्य चाहे कितना ही योग्य क्यों न हो, उसकी प्रतिष्ठा नहीं होती/अपने लोगों का आदर न करके दूसरों को श्रद्धास्पद समझना
(D) सब क्षण भंगुर है, सुख के बाद दु:ख अवश्यम्भावी है