ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय का अर्थ और वाक्य प्रयोग

(A) बूढ़ा और बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता है
(B) वृद्धावस्था में कई कष्ट होते हैं
(C) बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल है
(D) जैसा व्यक्ति कर्म करेगा वैसा ही फल पायेगा

Answer : बूढ़ा और बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता है

Explanation : ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय का अर्थ aise budhe bail ko kaun bandh bhus dey है 'बूढ़ा और बेकार आदमी दूसरे पर बोझ हो जाता है।' हिंदी लोकोक्ति ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय का वाक्य में प्रयोग होगा – सेठ दीनदयाल जिंदगी भर मेहनत करके कमाये लेकिन आज बूढ़े हो जाने एवं हांथ पैर थक जाने पर उनकी उनके परिवार द्वारा अवहेलना देखकर ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय वाली कहावत याद आती है। हिन्दी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में 'ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भुस देय' जैसे मुहावरे कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, बी.एड., सब-इंस्पेटर, बैंक भर्ती परीक्षा, समूह 'ग' सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होते है।
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Web Title : Aise Budhe Bail Ko Kaun Bandh Bhus Dey