शिवराजविजय काव्य की रीति कैसी है?

(A) पाच्चाली
(B) वैदर्भी
(C) गौड़ी
(D) शूरसेनी

Question Asked : [TGT Exam 2003]

Answer : पाच्चाली

शिवराजविजय में व्यासजी ने पाच्चाली रीति का आश्रय लिया गया है। डॉ. श्यामसुंदर दास के अनुसार, किसी कवि या लेखक की शब्द—योजना, वाक्यांशों का प्रयोग, उसकी बनावट और ध्वनि आदि का नाम ही शैली है। दंडी ने काव्यादर्श में 'अस्त्यनेको गिराममार्ग: सूक्ष्मभेदपरस्परम्' कहा है। इन भावनाओं के अनुसार, स्थूलत: शैली के दो भेद किये जाते हैं — 1. समास शैली, 2. व्यास शैली। इसके अतिरिक्त ऐतिहासिक व्यक्तियों के आधार पर आजकल विद्वानों ने मार्ग (शैली) को चार प्रकार का माना जाता है। किंतु अन्नतरकाल में इन्हें शैली न कहकर रीतियां कहा जाने लगा है। ये रीतियां चार हैं — 1. वैदर्भी, 2. गौड़ी, 3. पाच्चाली और 4. लाटी।
1. कोमल वर्णों और असमासता तथा अल्पसमास, माधुर्यपूर्ण रचना वैदर्भी रीति है।
2. महाप्राण—घोषवर्णा, ओजगुण समान तथ समास बहुला रचना गौणी है।
3. वैदर्भी और गौणी का सम्मिश्रण पाच्चाली रीति है।
4. वैदर्भी और पाच्चाली का सम्मिश्रण लाटी रीति है।
Tags : संस्कृत संस्कृत प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Shivraj Vijay Kavya Ki Riti Kaisi Hai