ऑपरेशन फ्लड श्वेत क्रांति दूध से संबंधित है। यह कार्यक्रम 1970 में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य देश में दुग्ध उत्पादन को 10 साल के अंदर सिर्फ 3.5 करोड़ प्रजनन योग्य पशुओं से, जिनमें से लगभग 1.5 करोड़ पशु दूध दे रहे हों, से दोगुना करना है, इसका कार्य कुछ क्षेत्रों में सहकारिता के माध्यम से सघन पशु विकास योजना चलाना तथा पशुपालकों को दूध के क्रय-विक्रय की उचित व्यवस्था करना है, इस योजना के खर्चे की विश्व बैंक से सहायतार्थ मिले धन से की जाती है, आज प्रत्येक भारतवासी को मात्र 211 मिली दूध प्रतिदिन उपलब्ध हो पाता है जबकि ICMR की सिफारिश के अनुसार, प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 220 मिली दूध उपलब्ध होना चाहिए, अत: उपलब्धता और संस्तुति में काफी अंतर व्याप्त है, जिसे पाटना होगा।
ऑपरेशन फ्लड की आधारशिला ग्राम दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं। ये समितियां उत्पादकों से दूध खरीदती हैं, उन्हें जरूरी जानकारी और सेवाएं देती हैं और उन्हें आधुनिक प्रबंधन और प्रौद्योगिकी सुलभ कराती हैं। ऑपरेशन फ्लड परियोजना के अब तक 3 चरण पूरे हो चुके हैं।
1. प्रथम चरण (1970-71 से 1980-81 तक) — भारत सरकार द्वारा जुलाई 1970 में चालू किया गया उद्देश्य था अमूल आनंद (गुजरात) की भांति सहकारी संघ निर्माण करना था।
2. दूसरा चरण (1981-82 से 1985-86 तक) डेयरी विकास की योजना बनाई गई।
3. तीसरा चरण (1986-87 से 1993-94 तक) इस चरण मे दूध के उत्पान में आशातीत वृद्धि हुई, जो 1 अप्रैल, 1996 तक चला।
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