त्रिपुरारि (Tripurari) का पर्यायवाची शब्द होगा – शंकर, शम्भू, शिव, विश्वनाथ, नीलकंठ, महादेव, महेश, महेश्वर, पशुपति, उमापति, कैलाशपति, गिरिजापति, गौरीपति, आशुतोष, उमेश, औढरदानी, कपर्दी, काशीनाथ, कैलाशनाथ, गंगाधर, गिरीश, गौरीनाथ, चंद्रचूड़, चंद्रभाल, चंद्रमौलि, चंद्रशेखर, त्रिनेत्र, रूद्र, त्रिलोचन, नटनागर, नटराज, पंचानन, पिनाकी, भूतनाथ, भूतेश, भूतेश्वर, भैरव, भोलेनाथ, विरूपाक्ष, हर,।
किसी शब्द के समान अथवा लगभग समान अर्थ का बोध कराने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। चूंकि पर्यायवाची शब्दों के अर्थ में समानता होती है, लेकिन प्रत्येक शब्द की अपनी विशेषता होती है और भाव में एक-दूसरे से किंचित भिन्न होते हैं। जैसे पर्यायवाची शब्द फूल, पुष्प, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून इत्यादि। पर्यायवाची शब्दों को ‘प्रतिशब्द’ या ‘समानार्थी शब्द’ भी कहते हैं। पर्यायवाची शब्द किसी भी भाषा की सबलता के प्रतीक हैं जिस भाषा में जितने ही अधिक पर्यायवाची शब्द होंगे वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध होगी। इस दृष्टिकोण से हिन्दी सम्पन्न भाषा है।
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