राजकुमारी अमृतकौर का जन्म 2 फरवरी, 1889 में नवाबों के शहर लखनऊ में हुआ था, उनका ताल्लुक कपूरथला, पंजाब के राजघराने से था, देश के विभाजन से पूर्व अमृत कौर अंतरिम सरकार में केंद्रीय मंत्री थीं।
वर्ष 1951-52 में पहले लोकस्भा चुनाव मे कुल 24 महिलाएं चुनाव जीतकर आई उनमें राजकुमारी अमृत कौर भी थीं, सादगी भरी राजनीति उनकी खास पहचान थी गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बनाया, वह हिमाचल प्रदेश के मंडी महासू लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं अमृत कौर पंजाब के कपूरथला के राजा हरनाम सिंह की बेटी थीं।
राजकुमारी अमृत कोर अपने सात भाइयों की एकमात्र बहन थीं। राजकुमारी इंग्लैंड में आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमए पास कर भारत लौंटी और 1930 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गई महलों में पली-बढ़ी अमृत कौर ने महात्मा गांधी के प्रभाव में आने के बाद सादगी भरा जीवन अपना लिया 1934 से वे बापू के आश्रम में जाकर रहने लगी थीं उन्होंने लंबे समय तक बापू के सचिव के तौर पर भी काम किया।
स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उन्होंने देश में मलेरिया खत्म करने के लिए अभियान चलाया तब एशियाई देशों में मलेरिया बड़ी जानलेवा बीमारी थी 1952 मे बाल कल्याण के लिए इंडियन कांउसिल आॅफ चाइल्ड वेलफेयर की स्थापना की गई वे टीवी एसोसिएशन आॅफ इंडिया और हिंद कुष्ठ निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्ष रहीं नेशनल स्पोर्ट्स क्लब आॅफ इंडिया की स्थापना उन्होंने की थी टेनिस खेलने का उन्हें खूब शौक था, ब्रिटेन में वह अपने स्कूल की हेड गर्ल थी, वह स्कूल में हॉकी की कप्तान भी थीं, उनका निधन 2 अक्टूबर, 1964 को दिल्ली में हुआ।
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