सातवाहन काल में कुलिक निगमों का क्या अर्थ था?

(A) दंडाधिकारी
(B) श्रेणियां
(C) जिला प्रमुख
(D) गांव का मुखिया

Question Asked : [IAS (Pre) Opt. History 2007]

Answer : श्रेणियां

सातवाहन काल में 'कुलिक निगम' से आशय 'श्रेणियों' से हैं। प्रत्येक व्यावसायिक संघ की अलग-अलग श्रेणी होती थी, जिसका प्रधान 'श्रेष्ठिन' कहा जाता था। श्रेणी के कार्यालय को 'निगम सभा' कहते थे। श्रेणियों के अपने अलग व्यापारिक नियम होते थे, जिन्हें 'श्रेणी धर्म' कहा जाता था। इन्हें राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त थी। वे बैंकों का भी काम करती थी और इस रूप में रुपया जमा करती तथा ब्याज पर धन उधार देती थी। बसाढ़ (वैशाली) में अनेक मिट्टी की मुहरें मिली हैं, जिनसे इस काल की श्रेणियों के संघटन पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। इनमें श्रेणि - सार्थवाह - कुलिक निगम, श्रेष्ठि कुलिक निगम, श्रेष्ठि निगम और प्रथम कुलिक का उल्लेख है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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Web Title : Satvahan Kal Mein Kulika Nigam Ka Kya Arth Tha