प्रारंभिक जैन धर्म का इतिहास किस ग्रंथ में मिलता है?

(A) भगवतीसूत्र में
(B) कल्पसूत्र में
(C) परिष्टिपर्वन में
(D) उक्त सभी में

Question Asked : [UPPCS (Pre) Opt. History 2003]

Answer : कल्पसूत्र में

भद्रबाहुकृत जैनकल्पसूत्र से पता चलता है कि महावीर के बीस वर्षों बाद सुधर्मन की मृत्यु हुई तथा उसके बाद जम्बू 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा। अंतिम नंद राजा के समय से संभूति विजय तथा भद्रबाहु संघ के अध्यक्ष थे। ये दोनों महावीर द्वारा प्रदत्त 14 (पुब्बों) के विषय में जानने वाले अंतिम व्यक्ति थे। सम्भूति विजय की मृत्यु चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यरोहण के समय ही हुई, उनके शिष्य स्थूल भद्र थे। इसी समय मगध में 12 वर्षों का अकाल पड़ा जिसके फलस्वरूप भद्रबाहु अपने शिष्यों सहित कर्नाटक चले गये। प्रारंभिक जैन धर्म का इतिहास 'कल्पसूत्र' में मिलता है। तीन भागों में संकलित कल्पसूत्र के पहले भाग में महावीर से पूर्व के 23 तीर्थंकरों के जीवन का वर्णन है। तीर्थंकर निम्न हैं - (1) ऋषभ या आदिनाथ, (2) अजितनाथ, (3) संभव, (4) अभिनंदन, (5) सुमति, (6) पद्ममप्रभ, (7) सुपार्श्व, (8) चंद्रप्रभ, (9) पुष्पदंत, (10) शीतल, (11) श्रेयांस, (12) वासुपूज्य, (13) विमल, (14) अनन्त, (15) धर्म, (16) शांति, (17) कुन्थू, (18) अरह, (19) मल्लि, (20) मुनि सुव्रत, (21) नमि, (22) नेमि, (23) पार्श्वनाथ (24) महावीर द्वितीय भाग में जैन धर्म केनिय, सिद्धांत तथा तृतीय भाग में जैन गाथाओं का वर्णन है।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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