सत्य के अनेकान्त का सिद्धांत किसका विशिष्ट लक्षण है?

(A) आजीवक
(B) बौद्ध धर्म
(C) जैन धर्म
(D) लोकायत

Question Asked : [UPPCS (Pre) Opt. History 2005]

Answer : जैन धर्म

जैन धर्म के अंतर्गत ज्ञान का सिद्धांत स्याद्वाद कहलाता है। तत्वमीमांसा की दृष्टि से इसे अनेकान्तवाद भी कहा जाता है, जिसके अंतर्गत इस बात की चर्चा की जाती है कि सच के अनेक पहलू है। इसमें किसी भी वस्तु के संबंध में सात परामर्श दियेजाने की बात की जाती है। स्याद्वाद जिसे सप्तभंगीनय भी कहा जाता है ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धांत है। जैनियों के अनुसार सांसारिक वस्तुओं के विषय में हमारे सभी निर्णय सापेक्ष्य एवं सीमित होते हैं। न तोहम किसी को पूर्णरूपेण स्वीकार कर सकते हैं और न अस्वीकार ही। ये दोनों अतियां हैं। अत: हमें प्रत्येक निर्णय के पूर्व 'स्यात्' (शायद) लगाना चाहिए। इसके सात प्रकार बताये गये हैं : (1) स्यात् यह वस्तु है (स्यात् अस्ति)। (2) स्यात् यह नहीं है (स्यात् अस्ति)। (3) स्यात् यह है भी और नहीं भी है (स्यात् अस्ति च नास्ति)। (4) स्यात् यह अव्यक्त है (स्यात् अव्यत्कम)। (5) स्यात् यह है तथा अव्यत्कम है (स्यात् अस्ति अव्यत्कम्)। (6) स्यात् यह नहीं है और अव्यक्त है (स्यात् नास्ति अव्यत्क)। (7) स्यात् यह है, नहीं है और अव्यत्क है (स्यात् अस्ति च नास्ति च अव्यत्कम्)
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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Web Title : Satya Ke Anekant Ka Siddhant Kiska Vishisht Lakshan Hai