वैदिक कर्मकांड में ‘होता’ का संबंध है?

(A) ऋग्वेद से
(B) यजुर्वेद से
(C) सामवेद से
(D) अथर्ववेद से

Question Asked : [UP RO/ARO (M) 2013]

Answer : ऋग्वेद से

उत्तर वैदिक काल तक समाज स्पष्ट रूप से चार वणों में विभाजि हो चुका था। ये चार वर्ण थे ब्राह्मण, क्ष्सत्रिय, वैश्य, शूद्र। इस काल में वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित न रहकर जाति पर आधारित हो गयी। उत्तर वैदिक काल में यज्ञोपवीत संस्कार का अधिकार शूद्रों को नहीं था। तैत्तिरीय ब्राह्मण के उल्लेख के आधार पर ब्राह्मण सूत का, क्षत्रिय सन का और वैश्य ऊन का यज्ञोपवीत धारण करता था। ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार बसंत ऋतु, क्षत्रियों का ग्रीष्म ऋतु, वैश्यों का शीत ऋतु में होने का विवरण मिलता है। ऐतरेय ब्राह्मण में सर्वप्रथम चारों वर्णों के कर्मों के विषय में विवरण मिलता है। ब्राह्मणों को आदायी दान लेने वाला, सोमपायी एवं स्वेच्छा से भ्रमणशील कहा गया। क्षत्रिय अथवा राजा भूमि का मालिक, प्रजा का सेवक एवं देश का रक्षक होता था। प्राय: ब्राह्मणों और क्षत्रियों के बीच श्रेष्ठता हेतु प्रतियोतिा होती थी।
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Web Title : Vedic Karmkand Mein Hota Ka Sambandh Hai