जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान के लिए क्या शब्द है?

(A) जिन
(B) रत्न
(C) कैवल्य
(D) निर्वाण

Question Asked : [IAS (Pre) GS 1993]

Answer : कैवल्य

जैनियों के 24वें तीर्थंकर एवं जैनधर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर स्वामी को 12 वर्ष की कठिन तपस्या के पश्चात् 42 वर्ष की आयु में जृम्भिकग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे सर्वोच्च अथवा पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी 'पूर्णज्ञान' को ही 'कैवल्य' कहा गया। 'कैवल्य' प्राप्त हो जाने के बाद स्वामी महावीर 'केवलिन' 'जिन' अर्थात् विजेता, 'अर्ह' (योग्य), 'निर्ग्रंथ' (बंधनरहित) कहलाए। जैनधर्म के त्रिरत्न हैं — (1) सम्यक ज्ञान, (2) सम्यक् श्रद्धा, (3) सम्यक आचरण (चरित्र)। ज्ञातव्य है कि 'निर्वाण' बौद्ध धर्म का परम पद (लक्ष्य) हैं, जिसका अर्थ है 'दीपक का बुझ जाना' अर्थात् जन्म-मरण चक्र से मुक्त हो जाना।
Tags : इतिहास प्रश्नोत्तरी प्राचीन काल भारत मध्यकालीन भारत
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Web Title : Jain Dharm Me Purn Gyan Ke Liye Kya Shabd Hai