मुद्रा का अवमूल्यन क्या होता है?

(A) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मूल्य में गिरावट
(B) अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुद्रा को अपना स्तर ढूंढ़ने की अनुमति
(C) IMF तथा WB की सहायता से मुद्रा का मूल्य निर्धारित
(D) उपरोक्त में कोई नहीं

Question Asked : UPPSC 1995

Answer : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मूल्य में गिरावट

मुद्रा अवमूल्यन का अर्थ है अपनी मुद्रा के मूल्य को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रयुक्त मुद्राओं (डॉलर) की तुलना में कम करना। इसका परिणाम यह होता है, कि विदेशों से आयात महंगा तथा निर्यात सस्ता हो जाता है। जिससे आयात में कमी तथा निर्यात में वृद्धि हो जाती है। बतादें कि 1947 में भारत की आजादी के बाद से भारतीय रूपये का 3 बार अवमूल्यन हुआ है। 1947 में विनिमय दर 1USD = 1INR था, लेकिन आज आपको एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए 70 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मुद्रा के अवमूल्यन का अर्थ “घरेलू मुद्रा के बाह्य मूल्य में कमी होना, जबकि आंतरिक मूल्य का स्थिर रहना” है। कोई भी देश अपने प्रतिकूल भुगतान संतुलन (BOP) को सही करने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है। यदि कोई देश प्रतिकूल भुगतान संतुलन (BOP) का सामना कर रहा है, तो इस स्थिति में वह अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है जिससे उसका निर्यात सस्ता हो जाता है और आयात महंगा हो जाता है।
Tags : अर्थव्यवस्था प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Mudra Ka Avmulyan Kya Hota Hai