ताना भगत आंदोलन क्या है?

(A) जनजातियों का राष्ट्रीय आंदोलन की धारा में लाना
(B) जमीदारों द्यारा शोषण होना
(C) अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध होना
(D) लगान का बहिष्कार करना

Answer : जनजातियों का राष्ट्रीय आंदोलन की धारा में लाना

ताना भगत आंदोलन 21 अप्रैल, 1914 ईसवी को गुमला जिले के विष्णुपुर प्रखंड के नावा टोली ग्राम से हुआ था, इस आंदोलन के परिणाम स्वरुप एक नया धार्मिक आंदोलन उरांवों द्वारा आरंभ किया गया, जिसे कुरूख धर्म या कुरुखों का धर्म कहा गया है। जतरा भगत इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे। इसके अलावा शिबू, माया, देवीया आदि इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे। ताना भगत आंदोलन बिहार की जनजातियों का राष्ट्रीय आंदोलन की धारा में आत्मसात होने का सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक उदाहरण है। इस आंदोलन की मुख्य मांगे थीं- स्वशासन का अधिकार, लगान का बहिष्कार तथा मनुष्य में समता। 1919 ईसवी तक इस आंदोलन वृहत स्तर पर प्रसार हो चुका था। असहयोग आंदोलन के समय ताना भगत आंदोलनकारियों ने भी इस में भाग लिया और- मंदिर त्याग, मदिरा की दुकानों पर धरना आदि कार्यक्रम को समर्थन दिया। मुलत: यह आंदोलन भी जमीदारों, प्रशासन तथा दिकुओं (बाहरी लोगों) के अत्याचारों के विरुद्ध था। किंतु इसमें हिंसात्मक संघर्ष के बदले संवैधानिक संघर्ष का रास्ता अपनाया गया। यह आंदोलनकारी कांग्रेस के कार्यक्रम और गांधीजी के सिद्धांतों से प्रभावित थे। इन्होंने खादी का प्रचार किया तथा ईसाई धर्म प्रचारकों का विरोध किया।
Tags : आधुनिक इतिहास इतिहास प्रश्नोत्तरी
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Web Title : Tana Bhagat Andolan Kya Hai