44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 – संपत्ति के अधिकार को, जिसके कारण संविधान में कई संशोधन करने पड़े, मूल अधिकार के रूप में हटाकर केवल विधिक अधिकार बना दिया गया। फिर भी यह सुनिश्चित किया गया कि संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों की सूची से हटाने से अल्पसंख्यकों के अपनी पसंद के शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने और संचालन संबंधी अधिकारों पर कोई प्रभाव न पड़े। संविधान के अनुच्छेद 352 का संशोधन करके यह उपबंध किया गया कि आपात स्थिति की घोषणा के लिए एक कारण ‘सशस्त्र विद्रोह’ होगा। आंतरिक गड़बड़ी, यदि यह सशस्त्र विद्रोह नहीं है तो आपात स्थिति की घोषणा के लिए आधार नहीं होगी। व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को, जैसा कि अनुच्छेद 21 और 22 में दिया गया है, इस उपबंध द्वारा और अधिकारी शक्तिशाली बनाया गया है। इसके अनुसार निवारक नजरबंदी कानून के अधीन व्यक्ति को किसी भी स्थिति में दो महीने से अधिक अवधि के लिए नजरबंद नहीं रखा जा सकता, जब तक कि सलाहकार बोर्ड यह रिपोर्ट नहीं देता कि ऐसी नजरबंदी के पर्याप्त कारण हैं। इसके लिए अतिरिक्त संरक्षण की व्यवस्था इस अपेक्षा से की गई है कि सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष किसी समुचित उच्च न्यायलय का सेवारत न्यायधीश होगा और बोर्ड का गठन उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीशों की सिफारिशों के अनुसार किया जाएगा।
विलुंब से बचने की दृष्टि से अनुच्छेद 132 और 134 में संशोधन किया गया और एक नया अनुच्छेद 134क सम्मिलित किया गया, जिसके द्वारा यह उपबंध किया गया कि निर्णय, अंतिम आदेश अथवा सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद संबंधित पक्ष के मौखिक आवेदन के आधार पर अथवा यदि उच्च न्यायालय उचित समझे तो स्वयं ही उच्चतम न्यायालय में अपील करने के प्रमाण-पत्र मंजूर किए जाने के प्रशन पर विचार करे। इस अधिनियम द्वारा किए गए अन्य संशोधन मुख्यत: आंतरिक आपात स्थिति की अवधि के दौरान किए गए संशोधन के कारण संविधान में आई विकृतियों को दूर करने अथवा सुधार करने के लिए हैं।
The Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978 – The right to property which had been the occasion for more than one amendment of Constitution was omitted as a Fundamental Right and it was made only as a legal right. It was, however, ensured that the removal of the right to property from the list of Fundamental Rights would not affect the right of minorities to establish and administer educational institutions of their choice. Article 352 of the Constitution was amended to provide “armed rebellion” as one of the circumstances for declaration of emergency. Internal disturbance not amounting to armed rebellion would not be a ground for the issuance of a Proclamation. The right to personal liberty as contained in Articles 21 and 22 is further strengthened by the provision that law for preventive detention cannot authorise, in any case, detention for a longer period than two months unless an Advisory Board has reported that there is sufficient cause for such detention. The additional safeguard has also been provided by the requirements that Chairman of an Advisory Board shall be a serving Judge of the appropriate High Court and that the Board shall be constituted in accordance with the recommendations of the Chief Justice of that High Court.